नवरात्रि में आप भी जौ बो रहे है, तो रखें इन बातों का ध्यान, वरना हो सकती है परेशानी….

नवरात्रि में जौ बोने के पीछे छिपा है भविष्य का संकेत

नवरात्रि मां दुर्गा की उपासना का विशेष पर्व है। नौ दिनों तक चलने वाले नवदुर्गा महोत्सव में माता के नौ स्वरूपों की आराधना जाती है। देवी उपासना के क्रम में कलश स्थापना के साथ ही जवारे बोने की परंपरा है। नवरात्र के प्रथम दिन कलश स्थापना के साथ 'जौ' (जिसे खेत्री भी कहते हैं) बोई जाती है। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि सृष्टि की शुरुआत में सबसे पहली फसल जौ की ही थी। जौ को पूर्ण फसल भी कहा जाता है। ज्वारे को भी शास्त्रों में मां का ही एक रूप माना गया है। बोए गए जौ जीवन में सुख और शांति के प्रतीक होते हैं क्योंकि देवियों के नौ रूपों में एक मां अन्नपूर्णा का रूप भी होता है।

15 अक्टूबर 2023 से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होने जा रही है। नवरात्रि में कलश स्थापना के साथ ही जवारे बोने का विशेष महत्व है.नवरात्रि में हर घर में जौ बोने का तरीका अलग-अलग होता है। कुछ लोग बालू में जौ डाल कर जवारे उगाते हैं तो कुछ लोग मिट्टी में। ऐसा कहते हैं कि नवरात्र पूजा में जौ की वृद्धि को आने वाले समय के शुभ-अशुभ संकेतों के रूप में देखा जाता है। नौ दिनों में जौ कितना उग जाती है यह उपासक के भविष्य का भी संकेत करता है। जानें कैसे जवारे देते हैं शुभ संकेत-


नवरात्रि के जवारे की वृद्धि, रंग देते हैं शुभ-अशुभ संकेत

नवरात्रि में जौ बोने के पीछे छिपा है भविष्य का संकेत

► माना जाता है जौ सफेद या हरे रंग की उगती है, तो यह शुभ संकेत है।  ऐसा भी कहा जाता है कि आपकी पूजा सफल हो गई है।

► यदि जौ का रंग नीचे से हरा और ऊपर से पीला है, तो साल का शुरुआती समय ठीक जबकि आखिरी महीनों का समय परेशानियों से भरा बीतने के संकेत होते हैं।

ज्वारे की वृद्धि तेजी से हो तो माना जाता है कि मां दुर्गा की कृपा से घर में सुख समृद्धि आयेगी। जौ का घना होना भी बेहतर भविष्य का सूचक है।

► यदि अंकुरित जौ का रंग नीचे से आधा पीला और ऊपर से आधा हरा है, तो माना जाता है कि साल का आधा समय अच्छा बीतेगा और आधा समय खराब।

► पीले रंग में उगने वाले जौ भी घर में खुशियों की दस्तक के संकेत होते हैं।

► जौ अंकुरित होने के बाद यदि झड़ने लगे तो यह अशुभ संकेत है।

► जौ बोने के तीन दिनों बाद ही वो उगने लगे और हरी-भरी हो जाए। तो इसे बेहद शुभ माना जाता है।


नवरात्रि के ऐसे ज्वारे देते हैं कठिन या अशुभ समय का संकेत

 ज्वारे यदि सुखे, टेढ़ी-मेढ़े उगें तो यह भी कठिन समय की ओर इशारा करते हैं।

 ज्वारे आने वाले समय की मुश्किल परिस्थितियों के संकेत भी देते हैं।

 जौ ज्वारे सूखी और पीली होकर झड़ने लगे तो ये भी एक अशुभ संकेत होता है।

 ऐसा कहते हैं कि ज्वारे यदि ठीक से नहीं उगते हैं तो इसे घर के लिए अशुभ माना जाता है।

 यदि ज्वारे की वृद्धि अच्छी ना हो या कोई अशुभ संकेत मिल रहे हों, ऐसे में मां दुर्गा से अपने कष्टों और परेशानियों को दूर करने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए ताकि आने वाले कष्ट और परेशानियां दूर हो जाए।

नवरात्रि में जौ बोने के पीछे छिपा है भविष्य का संकेत


 अष्टमी अथवा नवमी को ज्वारे का विसर्जन कर दिया जाता है। नवरात्रि खत्म होने के बाद हवन करके जौ को जल में बहा देना चाहिए। कुछ लोग इसे मंदिर में पीपल अथवा बरगद की छाया में भी रख देते हैं। इस तरह से ही नवरात्रि का समापन किया जाता है।


 






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Sumegha Bhatnagar

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