February 2018
होली पर रंग से कहीं आपकी स्किन संबंधी प्रॉब्लम नहीं हो, इसे देखते हुए साइंस सेंटर, फाॅरेस्ट डिपार्टमेंट और शहर के क्लब महिलाओं को घर में नेचुरल कलर बनाने की फ्री ट्रेनिंग देंगे

पहले जांचे तब लें गुलाल और रंग
होली पर बाजार में बिकने वाला रंग-गुलाल जरा संभलकर खरीदें। इस बार कहीं होली में आपके रंग में भंग न पड़ जाए। मार्केट में मिलने वाला गुलाल आपको तमाम बीमारियां दे सकता है, खासकर स्किन संबंधी बीमारियां बढ़ा सकता है।
-दानेदार गुलाल या फिर रंग नुकसानदेह होते हैं। दानेदार गुलाल बालू से बना होता है।
-गुलाल जितना सॉफ्ट होगा उसकी क्वालिटी उतनी ही बेहतर होगी।
-नकली रंग पानी में धीरे-धीरे घुलेगा और लाइट रंग के साथ दानेदार दिखाई देगा।
-सूखा रंग हाथ पर रगड़ने से खुजली हो तो समझ जाएं की यह सिंथेटिक है।


टेसू (पलाश) के फूलों को रातभर पानी में भिगो कर बहुत ही सुन्दर नारंगी रंग बनाया जा सकता है। कहते हैं भगवान श्रीकृष्ण भी टेसू के फूलों से होली खेलते थे। टेसू के फूलों के रंग को होली का पारम्परिक रंग माना जाता है। हरसिंगार के फूलों को पानी में भिगो कर भी नारंगी रंग बनाया जा सकता है| 

प्राकृतिक रंग कैसे बनाएँ | खुद बनाए रंगों से खेलें होली





एक चुटकी चन्दन पावडर को एक लीटर पानी में भिगो देने से नारंगी रंग बनता है।




चारों तरफ होली मनाने के लिए युवा वर्ग रोमांचित है। बिना रंग के होली की कल्पना ही नहीं की जा सकती है, लेकिन मुश्किल यह है कि इन रंगों में जो केमिकल पाए जाते हैं, वे हमारी त्वचा और आँखों के लिए हानिकारक होते हैं। हम आपको प्राकृतिक रंग बनाने की विधि बता रहे हैं जिससे आप आकर्षक व चटकीले रंग घर पर ही बना सकते हैं और होली का खूब मजा ले सकते हैं।




सूखे लाल चन्दन को आप लाल गुलाल की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। यह सुर्ख लाल रंग का पावडर होता है और त्वचा के लिए अच्छा होता है।




जासवंती के फूलों को सुखाकर उसका पावडर बना लें और इसकी मात्रा बढ़ाने के लिए आटा मिला लें। सिन्दूरिया के बीज लाल रंग के होते हैं, इनसे आप सूखा व गीला लाल रंग बना सकते हैं।




दो छोटे चम्मच लाल चन्दन पावडर को पाँच लीटर पानी में डालकर उबालें। इसमें बीस लीटर पानी और डालें। अनार के छिलकों को पानी में उबालकर भी लाल रंग बनाया जा सकता है।




बुरांस के फूलों को रातभर पानी में भिगो कर भी लाल रंग बनाया जा सकता है, लेकिन यह फूल सिर्फ पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है।




पलिता, मदार और पांग्री में लाल रंग के फूल लगते हैं। ये पेड़ तटीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। फूलों को रातभर में पानी में भिगो कर बहुत अच्छा लाल रंग बनाया जा सकता है।




सूखे मेहँदी पावडर को आप हरे रंग की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। सूखी लगाने पर इसे यूँ ही हाथ से साफ किया जा सकता है। गीली मेहँदी से त्वचा पर रंग रह जाने का डर रहता है, इसलिए इसे बालों पर लगाने से ज्यादा फायदा होगा। इसे बेझिझक किसी के बालों पर भी लगा सकते हैं।




गुलमोहर की पत्तियों को सुखाकर, महीन पावडर कर लें, इसे आप हरे रंग की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं।




दो चम्मच मेहँदी को एक लीटर पानी में मिलाकर अच्छी तरह से हिलाएँ। पालक, धनिया और पुदीने की पत्तियों का पेस्ट पानी में घोलकर गीला हरा रंग बनाया जा सकता है।

चुकन्दर को किस लें और इसे एक लीटर पानी में भिगो दें। बहुत ही अच्छा गुलाबी रंग तैयार हो जाएगा। गहरे गुलाबी रंग के लिए इसे रातभर भिगोएँ।




अमलतास, गेंदा व पीले सेवंती के फूलों से भी पीला रंग बनाया जा सकता है। फूलों की पंखुड़ियों को छाँव में सुखाकर महीन पीस लें। इसमें बेसन मिला सकते हैं या सिर्फ ऐसे ही उपयोग कर सकते हैं।




एक चम्मच हल्दी को दो लीटर पानी में मिलाकर अच्छे से मिला लें। गाढ़े पीले रंग के लिए आप इसे उबाल भी सकते हैं। पचास गेंदे के फूलों को दो लीटर पानी में मिलाकर उबालें व रातभर भीगने दें। सुबह तक बहुत ही खूबसूरत पीला रंग तैयार हो जाएगा।




जकरन्दा के फूलों की पंखुड़ियों को छाँव में सुखाकर बारीक पीस लें। ये फूल गर्मियों के मौसम में खिलते हैं। केरल में नीला जासवंती मिलता है, इसके फूलों से आप नीला रंग बना सकते हैं।




जामुन को बारीक पीस लें और पानी मिला लें। इससे बहुत ही सुन्दर नीला रंग तैयार हो जाएगा।



अनुकूल रंग मूड को बढिय़ा बना सकते हैं। वहीं गलत रंग आपको आपस में भिड़ा सकता है। अत: गलत रंगों से बचना चाहिए। आप यदि अपनी राशि के अनुसार रंग लगाएं और खास रंग से बचें तो होली का उत्सव और रंगीन हो जाएगा।

Play Holi according to Your Zodiac



मेष व वृश्चिक : आप लाल, केसरिया व गुलाबी गुलाल का टीका लगाएं तथा लगवाएं और काले व नीले रंगों से बचें।


वृष व तुला : आपको सफेद, सिल्वर, भूरे, मटमैले रंगों से होली क्रीड़ा भाएगी। हरे रंगों से बचें।


मिथुन व कन्या : हरा रंग आपके अनुकूल रहेगा। लाल, संतरी रंगों से बचें।


कर्क : पानी के रंगों से इस होली पर बचें। आसमानी या चंदन का तिलक करें या करवाएं। काले नीले रंगों से परहेज रखें।


सिंह : पीला, नारंगी और गोल्डन रंगों का उपयोग करें। काला, ग्रे, सलेटी व नीला रंग आपकी मनोवृति खराब कर सकते हैं।


धनु व मीन : राशि वालों के लिए पीला लाल नारंगी रंग फिजा को और रंगीन बनाएगा। काला रंग न लगाएं न लगवाएं।


मकर व कुंभ : आप चाहे काला, नीला, ग्रे रंग जितना मर्जी लगाएं या लगवाएं, मस्ती रहेगी पर लाल,गुलाबी गुलाल से बचें।


कोई भी भारतीय त्यौहार बिना पारंपरिक मिठाइयों के पूरा नहीं होता है मीठे शक्‍करपारे खाने में बहुत टेस्‍टी लगते हैं और होली के त्यौहार पर इन्‍हें घर पर बनाना बहुत आसान भी है। यू. पी. और बिहार में तो  इसे त्यौहार के मौक पर खासतौर से बनाया जाता है।






शकरपारे आप किसी भी त्यौहार पर बना सकते है। यह एक मीठा व्यंजन है, जिसे धीमी आँच पर तलकर तैयार किया जाता है। इसके बाद इसे चाशनी में डालते हैं।

तो क्यों ना मित्रो इस बार आप भी होली में बनाइए शकरपारे.....


 आइये जानते है इसकी विधि:-


रेसिपी क्विज़ीन: भारतीय पकवान
समय: 30 मिनट से 1 घंटा
मील टाइप: वेज


आवश्यक सामग्री:

मैदा- 2 कप (200 ग्राम)
रिफाइंड ऑयल या घी- 1/4 कप
चीनी- 1 कप
गुनगुना पानी- 2 कप
रिफाइंड- 2 कप



विधि:

- मैदे को एक बर्तन में छान लें और उसमें गर्म घी डालकर हाथों की मदद से अच्‍छी तरह मिलाएं। हथेलियों के बीच में आटे को अच्छी तरह रगड़ कर मिलाएं। मिलाने के बाद आप देखेगें की मोयन की वजह से मुट्ठी में भरने पर मैदा का लड्डू जैसा बँध जाता है। यह इस बात कि पहचान है कि मोयन (घी/ तेल) एकदम ठीक मात्रा में है।

- अब थोड़ा-थोड़ा पानी डालते हुए कड़ा आटा गूँथ लें। गुथे आटे को गीले कपड़े से ढककर 15-20 मिनट के लिए ढककर रखें।

- 20 मिनिट बाद, आटा सैट हो गया है। इसे मसलकर थोड़ा सा चिकना कर लीजिए। आटे को 2 भागों में बांट लीजिए। एक हिस्से को चकले पर रख लीजिए और दूसरे को ढक दीजिए ताकि यह सूखे नहीं।

- एक लोई को लेकर इसे रोटी की तरह बेल लें लेकिन इसे हल्‍का मोटा ही रखें। अब इसे चाकू से चौकोर या अपनी पसंद के टुकड़ों में काट लें।

- अब दूसरी लोई को भी इसी तरह बेल कर, काट कर रख लें।

- एक कड़ाही में घी गरम करें और उसमें तैयार शक्‍करपारों को थोड़े-थोड़े डालकर मीडियम आंच पर हल्‍का भूरा होने तक फ्राई कर लें।

- अब दो तार की चाशनी तैयार करें और उसमें तले हुए शकरपारों को डालकर अच्‍छी तरह से मिलाएं।

-  शकरपारों को एक प्लेट में निकाल लीजिए ताकि ये जल्दी ठंडे हो जाए और आसानी से अलग भी किए जा सके जब शक्‍कर पारे सूख जाएं तो इन्‍हें एयर टाइट डिब्बे में भरकर रख लें

-  मीठे शकरपारे बनकर तैयार हैं करारे-करारे और स्वाद से भरपूर मीठे शकरपारों को कभी भी सर्व कीजिए और च़ाव से खाइए



सुझाव:

- आटा गूंथते समय मोयन (घी) आटे की मात्रा का चौथाई लें अगर आटे में मोयन कम होगा तो शकरपारे सख्त बनेंगे

-  सर्दियों के मौसम में आटा गूंथने के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें

-  आटे को थोड़ा सख्त गूंथिए वरना शकरपारे नरम बनते हैं

-  जमने वाली कन्सिस्टेन्सी की चाशनी बनाने के लिए, चीनी की मात्रा का पानी लेते हैं














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    उत्तर भारत में होली के अवसर पर कई घरों में कांजी बनाने का चलन है फागुनी मौसम में रंगों की बहार के साथ यह चटपटी कांजी बहुत स्वादिष्ट लगती है पिछले लेख में मैंने आपको कांजी के वड़े बनाना बताया था कांजी स्वास्थ्य के लिए काफी न्यूट्रीशियस होती है। गाजर की कांजी बहुत ही स्वादिष्ट और पाचक होती है खाना खाने से पहले कांजी आपकी भूख को बढ़ा देती है  




    आप इसका उपयोग गर्मी और सर्दी दोनों मौसम में कर सकते हैं, गर्मियों में लोग खाने से ज्यादा पीने वाली चीजें पसंद करते हैं इस मौसम में गाजर की कांजी का मसालेदार स्वाद आपको तरोताजा कर देगा इस लेख में हम स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए, गाजर की कांजी बनाने का आसान तरीका आपको बता रहे है जिसे आप अपने घर पर आसानी से बना सकते हैं। राई को चढ़ने में थोड़ा समय लगता है तो बेहतर होगा की आप कांजी को होली के 2-4 दिन पहले ही बना लें


    तो फिर देर किस बात की दोस्तों, आइये बनाते है यह लोकप्रिय व्यंजन...........

    सामग्री:

    काली गाजर250 ग्राम
    पानी 6 कप
    पिसी राई 1½ बड़ा चम्मच
    नमक 2 टी स्पून
    पिसी लाल मिर्च 1½ छोटा चम्मच (स्वादानुसार)

    विधि:

    - गाजर को छील कर, अच्छी तरह धो लीजिये पानी सुखाकर 1 इंच के टुकड़े काट लीजिये


    - फिर किसी बर्तन में पानी को उबालकर उसमें कटी हुई गाजर को डाल दीजिये और गैस बन्द करके गाजर को ढककर 10 मिनिट के लिये रख दीजिये

    - गाजर से पानी को निकाल कर, एक प्याले में गाजर के टुकड़े डालिये, नमक, लाल मिर्च, और पिसी राई मिला दीजिये

    - इसके बाद एक बड़े जार में पानी लीजिए और उसमें गाजर मिले मसाले के पेस्ट को डालिए और खूब अच्छे से मिलाइए

    - अब ढक्कन लगाकर इसे खट्टा होने के लिए धूप में रखिए राई का पानी चढ़ने (खट्टा होने में) में 2-4 दिन लगते हैं

    - बन जाने के बाद इसे सर्व करें। कांजी का तैयार होना बनना तब माना जाता है, जब उसका पानी बहुत ही स्वादिष्ट खट्टा हो जाये। 


    कुछ सुझाव:

    राई का पानी (कांजी) खट्टा होने में 2-4 दिन लगते हैं, यह मौसम पर निर्भर करता है।

    - यदि कांजी के कन्टेनर को धूप में रखें तो कांजी 3 दिन में ही तैयार हो जाती है, लेकिन अगर मौसम ठंडा है तब इसको बनने में 4-5 दिन लग जाते हैं

    - कांजी के बन जाने के बाद उसे आप फ्रिज में रख दीजिये वह ओर अधिक खट्टी नहीं होगी जब भी आपका मन हो, 15 दिनों तक, स्वादिष्ट कांजी फ्रिज से निकालिये और पीजिये

    - कांजी, गाजर (लाल या काली) और चुकन्दर से भी बनाया जाता है।















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    होली के पकवानों में मठरी का अपना एक महत्व हैकई ओर तले हुए नाश्ते की तरह यह नमकीन कुरकुरी मठरी भी लम्बे समय तक अच्छी रहती है। इसीलिए इसे सफ़र या यात्रा के दौरान भी ले जा सकते है और साथ में एक कप चाय या कॉफ़ी हो या फिर चटनी या आचार हो तो मज़ा ही आ जाए। यह खाने में कुरकुरी होने के साथ खस्ता भी है। इसके लिए रेसिपी में मैदा और तेल में मात्रा एकदम सही होनी चाहिए। साथ में इसे धीमी आंच पर तला जाता है।


    इसको बनाने के लिए मैदे और सूजी को मिला कर सख्त आटा गूंधते है। तेल या घी को मैदे में उंगलियों की मदद से मिलाया जाता यह प्रक्रिया बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसीलिए धीरज से इसे अच्छे से मिलाये। इससे मठरी एकदम खस्ता बनती है। बाद में इसकी छोटी छोटी लोइयाँ बनाकर बेली जाती है। बेली हुई पूरी के ऊपर कांटा चम्मच से छेद किये जाते है ताकि तलते समय यह फुले ना।

    रेसिपी क्विज़ीन: भारतीय पकवान

    मील टाइप: वेज

    समय: 40 मिनट


    सामग्री:

    मैदा 1 कप
    रवा (सूजी) 1 टेबल स्पून
    अजवाइन ½ टीस्पून
    नमक स्वाद के अनुसार
    तेल या घी (अंदाज़ से)
    तेल तलने के लिए
    हल्का गर्म पानी 4-5 टेबल स्पून
    साबुत काली मिर्च (खल बट्टे में सिर्फ 1 या 2 बार कुटे) 1 टीस्पून (इच्छानुसार)

    विधि:

    आटा बनाने की विधि:

    एक बाउल में मैदा, सूजी, अजवाइन और नमक को मिला ले।

    अब इसमें तेल डालकर, उँगलियों की मदद से अच्छे से मिला ले। यह दिखने में दरदरा होगा।

    अब थोड़ा थोड़ा करके पानी डाले और एकदम सख्त आटा गूंदकर तैयार कर ले।

    अब इसे हल्के गीले कपड़े से ढककर 15 मिनट के लिए रख दे।

    अब काली मिर्च को खल बट्टे में लेकर सिर्फ 1-2 बार कूटकर मोटा ही रखे, पाउडर ना बनाये।


    मठरी बनाने की विधि:

    आटे को एक दो बार मसल ले और बराबर से 15 हिस्सों में बांटकर लोइयां बना ले।

    एक लोई ले और इसे 2 से 2 ½ इंच व्यास के गोल आकार में बेले।

    अब तीन काली मिर्च के टुकड़े ले और इसके ऊपर चिपकाए। बेलन से एक बार चलाकर ठीक से चिपका दे।

    अब काँटा चम्मच की मदद से दोनों और छेद बना ले। इसी तरह बाकी की तैयार करे।

    एक ओर कड़ाही में मध्यम से कम आंच पर तेल को गरम होने के लिए रखे।

    गरम तेल में कुछ मठरियां डाले और दोनों ओर से सुनहरी होने तक तले तलते दौरान तेल का तापमान मध्यम से कम होना चाहिए इसके लिए जरुरत के हिसाब से गैस की आंच को कम ज्यादा करे। जब तैयार हो जाए तब कड़छी से निकाले।

    इसी तरह बाकी की तलकर तैयार करे। जैसे ही यह ठंडी होगी यह ज्यादा कुरकुरी बनेगी। पूरी तरह ठंडा होने के बाद डिब्बे में भर कर रख दे।













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    नमकपारे खस्ता होने के साथ-साथ कुरकुरे भी होते है। इसका आटा बनाते समय इसमें घी डाला जाता  है, जो इसे खस्ता बनाता है। इसमें घी की मात्रा सही होनी चाहिए वर्ना यह खस्ता नहीं बनेगा। हमने मैदे में थोड़ी सी सूजी डाली है जिससे यह एकदम कुरकुरे बनेंगे।






    आप इसे त्यौहार के अलावा भी बना सकते है। चाय के साथ इनका स्वाद बहुत ही स्वादिष्ट लगता है। तो अब इस स्वाद के लिए बाहर क्यों जाएँ, आज आप इस नमकीन को घर पर ही बनाएँ और जब भी मन करे तब चाय के साथ इन नमकपारो का भरपूर आनंद लें। यह एक जल्दी से बननेवाला नाश्ता है। इसे बड़ी मात्रा में बनाये, डिब्बे में भरकर रखे और मज़े से चाय के साथ खाये।


    रेसिपी क्विज़ीन: भारतीय पकवान

    समय: 30-40 मिनट

    मील टाइप: वेज


    आवश्यक सामग्री:

    मैदा  400 ग्राम
    सूजी / रवा 100 ग्राम
    अजवाइन– 1 चम्मच
    नमकस्वादानुसार
    रिफाइंड ऑयल / वनस्पति घी (इच्छानुसार)


    नमकपारे बनाने का तरीका:



    सबसे पहले एक थाल में मैदा और सूजी को छान कर मिला लें फिर इसमें थोडा घी डाल कर मिलाएं घी को मैदे में अच्छे से मिला कर हथेली में रगड़े।

    – मिलाने के बाद आप देखेगे कि मोयन कि वजह से मुट्ठी में भरने पर मैदा का लड्डू जैसा बंध जाता है, यह इस बात की पहचान है कि मोयन (घी/ तेल) एकदम ठीक मात्रा में है।  अजवाइन, नमक और घी/ तेल डाल दीजिए।


    अब अजवाइन और नमक डाल कर सभी सामग्री को अच्छे से मिला लीजिए।


    फिर ज़रूरत के अनुसार हल्का गुनगुना पानी डालकर सख़्त आटा गूँथ लीजिए और हल्के गीले कपड़े से ढक कर 20 मिनट के लिए रख दीजिये, जिससे सूजी फूल जाए।

     20 मिनिट बाद, आप देखेंगें कि आटा सैट हो गया है। इसे मसलकर थोड़ा सा चिकना कर लीजिए अब इसको 5 बराबर भागों में बाट लें और गोल-गोल लोई बना लीजिए।

    एक लोई को चकले पर रखिए और बेलन के द्वारा थोड़ी सी मोटी पूरी बेलकर तैयार कर लीजिए।

    बेली हुई पूरी को चाकू की मदद से आधा-पौना इंच चौड़ी पट्टियों में काट लीजिए और फिर बेड़ा करके लगभग डेढ़ इंच के टुकड़े काट लें (आप इन्हें बड़े या छोटे अपनी पसंदानुसार आकार के बना सकते हैं।)

    अब एक कड़ाही में घी गरम करें और मध्यम से धीमी आँच पर सभी नमकपारे गुलाबी होने तक तलें। इस प्रक्रिया में लगभग 10 मिनट का समय लगता है।

    फिर एक प्लेट में किचन पेपर बिछाकर तले हुए नमकपारो को निकाल लीजिए।

    अब नमकपारो को ठंडा करके किसी एयर टाइट डिब्बे में भरकर रख लीजिए।



    ध्यान देने वाली बातें:

    - आटा गूंदने के लिए गुनगुना पानी और हल्का गर्म घी लें।

    - नमक पारे को धीमी आंच में ही तलें, नहीं तो यह ऊपर से सुनहरे हो जाएंगे लेकिन अंदर से कच्चे रहेंगे।

    - नमक पारे में खस्तापन लाने के लिए मोयन के लिए तेल या घी बहुत जरूरी है, लेकिन घी या तेल की मात्रा जरूरत से ज्यादा न रखें।


    –  तलने के लिए हमेशा कम से कम घी से कड़ाही भरें। तला हुआ घी दोबारा कम से कम इस्तेमाल करना पड़े, तो यह स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा है। 













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