Shradh Paksha 2025: पितरों का श्राद्ध करने के लिए यहां जाने कि किस स्थान पर श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए और किस जगह पर श्राद्ध करना शुभ माना जाता है।

Pitru Paksha 2025: इन 4 जगहो पर करें तर्पण और पिंडदान

पितृपक्ष में इस जगह पर ना करें तर्पण और पिंडदान


Pitru Paksha 2025: भाद्रपद की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक श्राद्ध पक्ष चलता है जिसे पितृपक्ष भी कहते हैं, जो कि 7 सितंबर से शुरू हो चुके है और 21 सितंबर को समाप्त होगे। पितृ पक्ष पूर्णत पितरों को समर्पित है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना, तर्पण या पिंडदान करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस अवधि में पितृ धरती पर आते हैं और अपने वंशजों का आशीर्वाद देकर उन्हें कष्टों से मुक्त करते हैं।

श्राद्ध या पितृपक्ष को स्मरण और कृतज्ञता का पर्व कहा जाता है, जब संतान अपने पूर्वजों के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करती है। इसलिए कहा जाता है कि पितरों का श्राद्ध हमेशा साफ़ सुथरी और पवित्र जगह पर ही करना चाहिए। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार कुछ स्थान और जगह ऐसी होती है जहा पर श्राद्ध कर्म करना अशुभ माना जाता है। आज के हमारे इस विशेष लेख में हम आपको उन्हीं जगहों के बारे में बताने जा रहे जहा श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान करना शुभ नहीं माना जाता है। आइए जानते है विस्तार से कौन सी वो जगह....


 श्राद्ध कर्म करना इन 4 जगहों पर वर्जित


शमशान:

किसी भी ऐसे शमशान घाट में श्राद्ध नहीं कर सकते हैं जिसे तीर्थ स्थल नहीं माना जाता। भारत में कुछ श्मशान घाट ऐसे हैं जिन्हें तीर्थ स्थान माना जाता है। जैसे कि उज्जैन के चक्रतीर्थ श्मशान घाट को तीर्थ स्थल का दर्जा प्राप्त है। हालांकि, ऐसे स्थानों पर श्राद्ध तभी करें जब आपके पास कोई दूसरा विकल्प ना हो। लेकिन, किसी भी तीर्थ श्मशान घाट पर श्राद्ध करने से पहले किसी विद्वान से परामर्श अवश्य करें।

अपवित्र भूमि:

किसी भी प्रकार से अपवित्र हो रही भूमि पर, कांटेदार भूमि या बंजर भूमि पर भी श्राद्ध नहीं करना चाहिए। जिस भूमि पर लोग खुले में शौच करने जाते हों, उस पर श्राद्ध नहीं करना चाहिए, भले ही वह भूमि शुद्ध कर ली गई हो।

देव स्थान:

श्राद्ध कर्म किसी भी मंदिर या परिसर या अन्य देवस्थान में नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह देवभूमि है। किसी पंडित या विद्वान की सलाह पर ही स्थान का चयन करें।

दूसरों की भूमि:

किसी दूसरे की निजी भूमि पर भी श्राद्ध नहीं करना चाहिए। यदि दूसरे के घर या भूमि पर श्राद्ध करना पड़े तो किराया या दक्षिणा भूस्वामी को दे देना चाहिए।अगर किसी दूसरे के मकान या जमीन पर श्राद्ध करना हो तो मकान मालिक को किराया या दक्षिणा देनी चाहिए।


इन 7 में से किसी एक जगह पर करें श्राद्ध


धार्मिक शास्त्रों में उल्लेखित किसी भी तीर्थ स्थान जैसे कि गया, नासिक और उज्जैन सहित देश भर में श्राद्ध तर्पण के लिए 64 से अधिक स्थान हैं, जहां जाकर श्राद्ध किया जा सकता है।

अपने घर पर ही श्राद्ध कर्म करना सबसे अच्छा होता है। इसके लिए घर के कमरे या आंगन के दक्षिण दिशा में बैठकर पिंडदान करें। दक्षिण दिशा को पितरों की दिशा माना जाता है। घर में श्राद्ध करते समय पूरे विधि-विधान का पालन करें और ब्राह्मण को भोजन कराएं। लेकिन अगर आपको पितरों की मुक्ति के लिए विशेष श्राद्ध कर्म करना है तो गया या नदी तट जैसे स्थानों का चयन करें।

किसी भी पवित्र नदी या समुद्र के तट पर उपयुक्त स्थान पर विधिपूर्वक श्राद्ध किया जा सकता है। नदी के किनारे श्राद्ध करने से पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।

हिंदू धर्म में बरगद के पेड़ को देव वृक्ष माना जाता है, क्योंकि इस वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का वास माना गया है। इसलिए श्राद्ध कर्म पवित्र बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर करने से पितर तृप्त होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। बस ध्यान रखे कि उसके आसपास कोई देव स्थान नहीं होना चाहिए।

Pitru Paksha 2025: इन 4 जगहो पर भुलकर भी ना करें तर्पण और पिंडदान, जाने सही जगह यहाँ

Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष में इस जगह पर करें तर्पण और पिंडदान


किसी भी छोटे या बड़े वन में सही जगह देख कर उसे साफ करके पूरे विधि-विधान के साथ श्राद्ध किया जा सकता है। इन जगहों को भी पवित्र माना जाता है और यहां श्राद्ध करने से भी उतना ही फल प्राप्त होता है, जितना कि किसी तीर्थ स्थान पर।

गौ माता को हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र माना जाता है। गौशाला में श्राद्ध कर्म करना बहुत ही पुण्यदायी होता है। लेकिन जिस गौशाला में बैल नहीं बांधे जाते हो, वहां पर उपयुक्त स्थान को गोबर से लीपकर शुद्ध करके श्राद्ध किया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि गौशाला में श्राद्ध करने से पितरों को सीधे पितृलोक में मुक्ति मिलती है।

श्राद्ध किसी भी पवित्र पर्वत शिखर पर किया जा सकता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखे कि वहां कोई देव स्थान हो।


पितृ पक्ष के दौरान अगर आप भी अपने पितरों का श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान करने जा रहे हैं तो भूलकर भी उपरोख्त लिखित उन जगहों पर ना करें। इसके साथ ही मैं उम्मीद करती हूँ कि आपको हमारी आज की यह विशेष जानकारी जरूर पसंद आई होगी। हमें कमेंट करके जरूर बताये। साथ ही इसे सोशल मीडिया जैसे Facebook Instagram पर भी शेयर जरूर करें। बाकी अन्य आर्टिकलस को पढ़ने के लिए हमेशा ऐसे ही बने रहिये आपकी अपनी वेबसाइट www.99advice.com के साथ।


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Sumegha Bhatnagar

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