Panchbali Karma: श्राद्ध पक्ष में पंचबलि कर्म करने का विधान है। पंचबलि कर्म का खास महत्व है। पंचबलि कर्म क्यों और कैसे करते है। जाने विस्तार से यहां
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श्राद्ध पक्ष में पंचबलि कर्म क्या है |
मुख्य बिंदु
श्राद्ध कर्म में विशेष महत्व रखता है पंचबलि कर्म।
पितृ पक्ष में किया जाता है पितरों का तर्पण।
पंचबलि के पश्चात् ब्राह्मण को भोजन कराऐं।
Benefits of Panchbali Karma in Pitru Paksha: हिंदू धर्म में पितृपक्ष को बहुत ही पावन और महत्वपूर्ण माना गया है। पितृ पक्ष की अवधि भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन अमावस्या तक चलती है। इस साल पितृ पक्ष 7 सितंबर से 21 सितंबर तक रहेगा। इस दौरान पितर धरती पर पधारते हैं और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए उनके वंशज श्राद्ध कर्म, पिंडदान और तर्पण करते है। शास्त्रों में बताया गया है कि इन कर्मों के माध्यम से पितरों को तृप्त किया जाता है, जिससे उनके आशीर्वाद से घर और परिवार में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है।
पितृपक्ष के दौरान पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए एक विशेष कर्म किया जाता है जिसे 'पंचबलि कर्म' (Panchbali Karma) कहते है, जो पितरों की तृप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। श्राद्ध पक्ष में पंचबलि कर्म को करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है और जीवन में चल रही सभी बाधाएं दूर होती हैं। पंचबलि को सबसे अंत में किया जाता है। पंचबलि में पांच स्थानों पर भोजन रखा जाता है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
पंचबलि क्या है?
पंचबलि कर्म एक प्राचीन वैदिक अनुष्ठान है, जो पितृपक्ष के दौरान किया जाता है। 'पंच' शब्द का अर्थ है पांच और 'बलि' का तात्पर्य हुआ भेंट या समर्पण। पंचबलि कोई पशुबलि नहीं है, अपितु प्रतीकात्मक रूप से पांच प्रकार के जीवों या तत्वों को श्राद्ध का खाना पांच हिस्सों में अर्पित करना। गरुड़ पुराण और अन्य शास्त्रों में इसका वर्णन मिलता है, जहां कहा गया है कि श्राद्ध के भोजन को पांच भागों में विभाजित कर विभिन्न प्राणियों को चढ़ाया जाता है।
पंचबली श्राद्ध कर्म की व्यापकता को दर्शाता है। पंचबलि का अर्थ है पांच प्रकार के जीवों और तत्वों को अन्न अर्पित करना। यह परंपरा हमारे ऋषियों-मुनियों द्वारा इसलिए बनाई गई थी ताकि सभी जीव-जंतुओं और अदृश्य शक्तियों का संतुलन बना रहे और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त हो। पंचबली के जरिए हम अपने पितरों का पोषण करके उन्हें तृप्त करते हैं। यह श्राद्ध का प्रमुख हिस्सा है और इसे निम्नलिखित को अर्पित किया जाता है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से.......
पंचबलि की विधि
1. गौ बलि
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पितृ पक्ष: गाय को खाना क्यों खिलाना |
2. श्वान बलि
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श्राद्ध पक्ष में क्यों कुत्ते को खाना खिलाना |
3. काक बलि
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पितृ पक्ष: कौए को खाना क्यों खिलाना |
4. देवादि बलि
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पितृ पक्ष 2025 |
5. पिपलिकादि बलि
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पितृ पक्ष: चींटी, कीड़े-मकौड़ों को खाना खिलाना |
पंचबलि देने के बाद एक थाली में सभी भोजन में बनाई गई सामग्री परोसर दक्षिण मुख होकर संकल्प किया जाता है। संकल्प करने के बाद ‘ओम् इदमन्नम्’, ‘इमा आपः इदमाज्यम्,’ ‘इदं हविः’ इस प्रकार बोलते हुए अन्न, जल, घी तथा पुनः अन्न को दाहिने हाथ के अंगूठे से स्पर्श किया जाता है। इस क्रिया के पश्चात् एक बार फिर हाथ में जल, अक्षत आदि लेकर ब्राह्मण भोजन का संकल्प किया जाता है। पंचबलि निकालकर कौअे के निमित्त अन्न कौअे को, कुत्ते का अन्न कुत्ते को और सबका गाय को देने के बाद ब्राह्मणों को पैर धोकर भोजन कराया जाता है। इसके बाद उन्हें अन्न, वस्त्र और द्रव्य दक्षिणा देकर तिलक लगाकर नमस्कार किया जाता है।
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। www.99advice.com इसकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)
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