इस साल 15 जनवरी 2024 को है मकर संक्रांति। आइये जानें मकर संक्रांति का महत्व एवं शुभ मुहूर्त-

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) 2024:जानें महत्व एवं शुभ मुहूर्त


मुख्य बिंदु

हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का बहुत ही अहम महत्व है।

मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है।

दान करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है।


लोहड़ी के बाद पूरे भारत में मकर सक्रांति (Makar Sankranti) मनाई जाती है। सूर्य का मकर राशि में गमन करना संक्रांति कहलाता है इसलिए इस पर्व को मकर संक्रांति के रूप में जानते हैं। मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का सीधा संबंध पृथ्वी के भूगोल और सूर्य की स्थिति से है। जब सूर्य मकर रेखा पर आता है वह दिन 14 जनवरी का होता है। मगर इस साल मकर सक्रांति 15 जनवरी को मनाई जा रही है।

मकर संक्रांति से एक माह तक सूर्य मकर में रहते है। मकर संक्रांति को देशभर में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। दक्षिण भारत में यह पोंगल के नाम से जाना जाता है। वहीं गुजरात और राजस्थान में इसे उत्तरायण के नाम से जाना जाता है। इस दिन देशभर में पतंगबाजी की जाती है।

ज्योतिष के अनुसार इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और इसी दिन से वर्ष का उत्तरायण पक्ष शुरू हो जाता है। उत्तरायण का काल छह महीने का होता है। इसे देवताओं का काल भी कहते हैं। दक्षिणायण में छह महीने देवता सोए हुए होते हैं और राक्षसों की तमोगुणी वृत्तियों का वर्चस्व होता है। सूर्य के उत्तरायण होने की स्थिति में सूर्य उत्तर दिशा की ओर गमन करते हैं। इस स्थिति में सूर्य की किरणें वातावरण में एक अनूठी छटा बिखेरती हैं। सूर्य के उत्तरायण होते ही देवताओं का दिन व असुरों की रात्रि शुरू हो जाती है। इसलिए उत्तरायण के पहले दिन मनाया जाने वाला मकर संक्रांति पर्व एक नई शुरुआत, नई गति का प्रतीक है। यह तेज, तप व वैराग्य का पर्व है। यह मन के अशुद्ध विचारों को त्याग कर पावन हो जाने का पर्व है। मकर सक्रांति के साथ ही खरमास समाप्त हो जाता है। इसी के साथ शुभ कार्यों की भी शुरुआत हो जाएगी। वहीं, इस साल मकर सक्रांति से ही प्रयागराज में कुंभ मेले की भी शुरुआत हो जाएगी।


मकर संक्रांति से कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं।


मान्यता है कि मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। इस दृष्टि से भी इस पर्व का खास महत्व है। एक अन्य मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदराचल पर्वत पर भूमिगत कर दिया था। इस प्रकार यह दिन बुराइयों और नकारात्मकता को खत्म करने का दिन भी माना जाता है। अतः उस समय से ही भगवान विष्णु की इस विजय को मकर संक्रांति के पर्व के रूप में मनाया जाता है।

मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा उनसे मिली थीं। यह भी कहा जाता है कि गंगा को धरती पर लाने वाले महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इस दिन तर्पण किया था। उनका तर्पण स्वीकार करने के बाद इस दिन गंगा समुद्र में जाकर मिल गई थी। इसलिए मकर संक्रांति पर गंगा सागर में मेला लगता है। महाभारत काल के महान योद्धा भीष्म पितामह ने भी अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही चयन किया था। यशोदा जी ने जब कृष्ण जन्म के लिए व्रत किया था तब सूर्य देवता उत्तरायण काल में पदार्पण कर रहे थे और उस दिन मकर संक्रांति थी। कहा जाता है तभी से मकर संक्रांति व्रत का प्रचलन हुआ।

मकर संक्रांति का दिन, फसल काटने की शुरुआत के लिए मनाया जाने वाला उत्सव होता है। असम में यह उत्सव बिहू और दक्षिण भारत में पोंगल के नाम से मनाया जाता है। वहीं गुजरात और राजस्थान में इसे उत्तरायण के नाम से जाना जाता है। इस दिन देशभर में पतंगबाजी की जाती है आपको जानकर खुशी होगी कि मकर संक्रांति के दिन ही गुजरात में अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्वस मनाया जाता है। इस तरह से नाम चाहे कुछ भी हो, पूरे भारत में यह दिन साल की नई शुरुआत का चिह्न होता है। इसके अलावा मकर संक्रांति से ही दिन बड़ा और रात छोटी होने लगती है। माना जाता है कि इसी दिन से ठंड का समापन भी शुरू जाता है।


मकर संक्रांति के विशेष पकवान:

शीत ऋतु में वातावरण का तापमान बहुत कम होने के कारण शरीर में रोग और बीमारियां जल्दी हो जाती हैं| इसलिए इस दिन गुड़ और तिल से बने मिष्ठान्न या पकवान बनाये, खाये और बांटे जाते हैं| इन पकवानों में गर्मी पैदा करने वाले तत्वों के साथ ही शरीर के लिए लाभदायक पोषक पदार्थ भी मौजूद होते हैं| इसलिए उत्तर भारत में इस दिन खिचड़ी का भोग लगाया जाता है तथा गुड़-तिल, रेवड़ी, गजक आदि का प्रसाद बांटा जाता है|


दान का महत्व:

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को स्नान और दान का पर्व भी कहा जाता है। मकर संक्रांति के दिन तीर्थो एवं पवित्र नदियों में स्नान का बहुत महत्व है साथ ही दान, जप, तप, श्राद्ध और अनुष्ठान का भी बहुत महत्व है। कहते हैं कि इस मौके पर किया गया दान सौ गुना होकर वापस फलीभूत होता है। इस दिन घी, तिल, गुड़, खिचड़ी, फल एवं राशि के अनुसार दान करने का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन कई जगह पितरों को जल में तिल अर्पण भी दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किए गए दान से सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।


स्नान-दान का शुभ मुहूर्त:

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का पर्व हर साल सामान्यतः 14 जनवरी को पड़ता है जब सूर्य उत्तरायन होकर मकर रेखा से गुजरता है। कभी-कभी 13 या 15 जनवरी को भी मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है। लेकिन इस वर्ष पंचांग के अनुसार, इस बार सूर्य 14 जनवरी 2023 की रात में 02: 44 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, साल 2024 में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा।

ज्यादातर हिंदू त्यौहारों की गणना चंद्रमा पर आधारित पंचांग के द्वारा की जाती है लेकिन मकर संक्रांति पर्व सूर्य पर आधारित पंचांग की गणना से मनाया जाता है। मकर संक्रांति पर पुण्यकाल मुहूर्त : प्रातः 07 बजकर 10 मिनट से शाम 6 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। शास्त्रों के अनुसार इस दौरान स्नान-दान से कई गुना फल प्राप्त होता है। ऐसा कहा जा रहा है कि पंचांग के अनुसार इस दिन शतभिषा पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र है और 15 जनवरी यानी मकर सक्रांति 77 सालों के बाद वरीयान योग,और रवि योग का अत्यंत शुभ संयोग बन रहा है। 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे, वहीं दूसरी ओर इस दिन बुध और मंगल भी एक ही राशि धनु में विराजमान रहेंगे। ऐसे में मकर संक्रांति को बेहद ही शुभ फलदायी बताया जा रहा है।

मकर संक्रांति में दान-पुण्य करने का समय संपूर्ण दिन रहेगा। अत: ज्योतिषियों के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाना शास्त्र सम्मत है। इस योग में दान-पुण्य करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है। जैसा कि निम्न श्लोक से स्पष्ट होता है--


माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकंबलम।

भुक्त्वा सकलान भोगान अंते मोक्षं प्राप्यति॥



मकर संक्रांति पुण्य काल मुहूर्त:- 

मकर संक्रान्ति 15 जनवरी 2024 दिन सोमवार

मकर संक्राति पुण्य काल - सुबह 07:10 से शाम 06:02 तक

अवधि - 10 घण्टा 52 मिनट

 

मकर संक्राति महा पुण्य काल - सुबह 07:10 से सुबह 08:59 तक

अवधि01 घण्टा 40 मिनट







Tag: मकर संक्रांति2024, about makar sankranti, about makar sankranti in hindi, astrological significance of makar sankranti, celebration of makar sankranti, date of makar sankranti, how to celebrate makar sankranti in hindi, how to do makar sankranti puja, how to make khichdi on makar sankranti, importance of makar sankranti, kite festival makar sankranti, kyu manate hai makar sankranti, makar sankranti 2024 date and time, makar sankranti according to hindu calendar, makar sankranti baare mein bataye, makar sankranti muhurat time 2024 makar sankranti par kya karna chahiye, makar sankranti puja, मकर संक्रांति (makar sankranti) meaning




____

99advice.com provides you with all the articles pertaining to Travel, Astrology, Recipes, Mythology, and many more things. We would like to give you an opportunity to post your content on our website. If you want, contact us for the article posting or guest writing, please approach on our "Contact Us page."
Share To:

Sumegha Bhatnagar

Post A Comment:

0 comments so far,add yours