शिवयोग में मनेगा महाशिवरात्रि का पावन पर्व, पूजा करते समय भूलकर भी न करें ये 7 गलतियां

Mahashivratri 2023: शिवयोग में मनायें महाशिवरात्रि का पावन पर्व, भूलकर भी न करें 7 गलतियां

Mahashivratri 2023: भूलकर भी न करें 7 गलतियां


हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि को भगवान शिव के प्रति सच्‍ची आस्‍था और श्रृद्धा का पर्व माना जाता है। शिव जी को वरदान देने वाले देवता कहा जाता है, भगवान शिव अपने नाम भोलेनाथ के अनुसार बहुत ही भोले माने जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भोलेनाथ का व्रत रखने से वो अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों की सभी समस्याओं का समाधान करते हैं।

इस वर्ष 2023 में, यह महापर्व 18 फरवरी शनिवार को मनाया जायेगा। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी को रात 8 बजकर 2 मिनट से शुरू होकर 19 फरवरी को शाम 4 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी। इस दोरान महान कल्याणकारी 'शिवयोग' भी विद्यमान रहेगा। शिव योग को स्वयं भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त है। यह त्यौहार भगवान शिव और पार्वती माता के विवाहोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

पूजा शुभ मुहूर्त: 

 

Mahashivratri 2023

 

महा शिवरात्रि 18 फरवरी दिन शनिवार को है। महाशिवरात्रि पूजा का सबसे शुभ समय चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी को रात 8 बजकर 2 मिनट से शुरू होकर और 19 फरवरी को (समापन) शाम 4 बजकर 18 मिनट तक होगा।

महाशिवरात्रि 2023 पूजा के अन्य शुभ मुहूर्त-

महाशिवरात्रि के त्योहार पर भगवान शिव की पूजा चार प्रहर में करने का विधान होता है।

प्रथम प्रहर की पूजा- 18 फरवरी 2023 को शाम 06 बजकर 21 मिनट से रात 09 बजकर 31 मिनट तक

दूसरे प्रहर की पूजा- रात 09 बजकर 31 मिनट से 19 फरवरी 2023, प्रात: 12 बजकर 41 मिनट तक

तीसरे प्रहर की पूजा- 19 फरवरी 2023 को सुबह 12 बजकर 41 मिनट से सुबह 03 बजकर 51 मिनट तक

चौथे प्रहर की पूजा- 19 फरवरी 2023 को सुबह 03 बजकर 51 मिनट से सुबह 07 तक

पारण का समय- सुबह 07:00 - दोपहर 03 बजकर 31 (19 फरवरी 2023)


शिव पूजा के दौरान भूलकर भी न करें ये 7 गलतियां

 Mahashivratri 2023 भूलकर भी न करें 7 गलतियां


1. शंख का प्रयोग न करें

भगवान शिव की पूजा में कभी भी शंख से जल अर्पित नहीं किया जाता है और न ही भगवान शिव की पूजा में शंख का उपयोग किया जाता है। दैत्य शंखचूड़ का भगवान शंकर ने त्रिशूल से वध किया था जिसके बाद उसका शरीर भस्म हो गया और उसी भस्म से ही शंख की उत्पत्ति हुई थी। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव रुष्‍ट हो सकते हैं। इसलिए भोलेबाबा की पूजा में शंख नहीं बजाना चाहिए।

2. तुलसी पत्ता

शिव जी के पंचामृत में भूलकर भी तुलसी का प्रयोग नहीं किया जाता। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव ने जलंधर नामक राक्षस का वध किया था और जलंधर की पत्‍नी वृंदा बाद में तुलसी का पौधा बन गई थीं जिसे भगवान विष्णु ने पत्नी रूप में स्वीकार किया था। इसलिए शिव जी की पूजा में तुलसी का प्रयोग करना मना है।

3. पुष्प

भगवान शिव की पूजा में केसर, दुपहरिका, मालती, चम्पा, चमेली, कुन्द, जूही आदि के पुष्प नहीं चढ़ाने चाहिए। क्योंकि ये फूल शिव जी को प्रिय नहीं होते हैं।

4. काला तिल

यह माना जाता कि काला तिल भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ है इसलिए इसे भगवान शिव को अर्पित नहीं करना चाहिए।

5. टूटे हुए चावल

शास्त्रों में भगवान शिव को अक्षत यानी साबुत चावल अर्पित किए जाने के बारे में लिखा है। टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध होता है इसलिए यह शिव जी को नहीं चढ़ाया जाता है।

6. सिंदूर या कुमकुम

कुमकुम सौभाग्य का प्रतीक है जो हिंदू महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए लगाती हैं। जबकि भगवान शिव वैरागी हैं और विध्वंसक के रूप में जाने जाते हैं इसलिए शिवलिंग को कुमकुम नहीं चढ़ता।

7. टूटे बेलपत्र न करें अर्पित

भगवान शिव को कभी भी टूटे हुए बेल पत्र या फिर दो मुंह वाले बेलपत्र नहीं चढ़ाने चाहिये।  




 





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Sumegha Bhatnagar

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