बुद्ध पूर्णिमा को वैशाख पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गौतम बुद्ध की जयंती और उनका निर्वाण दिवस भी है। इस साल 05 मई 2023 को मनाई जाएगी।

जानिए बुद्ध पूर्णिमा का महत्व और इससे जुड़ी मान्यताएं



वैशाख मास की पूर्णिमा को मनाई जाने वाली बुद्धपूर्णिमा को वैशाख पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन का काफी महत्व है क्योंकि इस दिन गौतम बुद्ध की जयंती और उनका निर्वाण दिवस भी है। जी हाँ, यह भी कहा जाता है कि इस दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी। बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए यह महत्वपूर्ण दिन है और इस दिन को वह बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।


भगवान बुद्ध केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिये आराध्य नहीं है बल्कि हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए बुद्ध विष्णु के नौवें अवतार हैं और हिन्दुओं के लिए भी यह दिन पवित्र माना जाता है। इस साल यह 16 मई 2022 को मनाई जाएगी। साथ ही इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा के दिन समसप्तक राजयोग बन रहा है। क्योंकि इस दिन देव गुरु बृहस्पति व नवग्रहों के राजा सूर्यदेव आमने-सामने रहेंगे। इस योग में सभी कार्यों में स्थायित्व के साथ प्रगति मिलती है।


पूरी दुनिया में महात्मा बुद्ध को सत्य की खोज के लिये जाना जाता है। सच को जानने के लिये सिद्धार्थ ने अपना राजसी ठाठ बाट को छोड़ दिया। गृहत्याग के पश्चात सिद्धार्थ सात वर्षों तक वन में भटकते रहे और उन्होंने कठोर तपस्या करी। अंततः वैशाख पूर्णिमा तिथि को वर्षों वन में भटकने व कठोर तपस्या करने के पश्चात बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे बुद्ध को सत्य का ज्ञान  हुआ। यह कह सकते हैं कि उन्हें बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति भी वैशाख पूर्णिमा को हुई। तभी से यह दिन बुद्ध पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है। इसी के साथ इस दिन बोधिवृक्ष की पूजा की जाती है और उसकी शाखाओं पर हार व रंगीन पताकाएँ सजाई जाती हैं।  


भगवान बुद्ध बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। बौध धर्म को मानने वाले भगवान बुद्ध के उपदेशों का पालन करते हैं। भगवान बुद्ध का पहला उपदेश ‘धर्मचक्र प्रवर्तन' के नाम से जाना जाता है। यह पहला उपदेश भगवान बुद्ध ने आषाढ़ पूर्णिमा के दिन पांच भिक्षुओं को दिया था।


जानिए बुद्ध पूर्णिमा का महत्व और इससे जुड़ी मान्यताएं

बुद्ध पूर्णिमा की मान्यताएं- 

बताया जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने अपना 9वां अवतार लिया था। ये अवतार भगवान बुद्ध के नाम से लोकप्रिय है। कहते हैं कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन लिया स्नान कई जन्मों के पापों का नाश करता है।


इसी दिन को सत्य विनायक पूर्णिमा के तौर पर भी मनाया जाता है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण के बचपन के दोस्त सुदामा गरीबी के दिनों में उनसे मिलने पहुंचे। इसी दौरान जब दोनों दोस्त साथ बैठे थे, तो कृष्ण ने सुदामा को सत्यविनायक व्रत का विधान बताया था। सुदामा ने इस व्रत को विधिवत किया और उनकी गरीबी नष्ट हो गई।


इस दिन धर्मराज की पूजा करने की भी मान्यता है। कहते हैं कि सत्यविनायक व्रत से धर्मराज खुश होते हैं। माना जाता है कि धर्मराज मृत्यु के देवता हैं इसलिए उनके प्रसन्‍न होने से अकाल मौत का ड़र कम हो जाता है।


हिंदू मान्‍यता के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा के दिन पांच या सात ब्राह्मणों को मीठे तिल दान करने चाहिए। ऐसा करने से पापों का नाश होता है।


  मान्‍यता तो यह भी है कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन अगर एक समय भोजन करके पूर्णिमा, चंद्रमा या सत्यनारायण का व्रत किया जाए, तो जीवन में कोई कष्‍ट नहीं होता।



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Happy Buddh Purnima !!








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Sumegha Bhatnagar

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