July 2025
Sawan 2025: सावन में भगवन शिव को प्रसन्न करने के लिए करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, आर्थिक तंगी से मिलेगी राहत

Sawan 2025: भगवान शिव को कैसे प्रसन्न करें?


Sawan 2025: भगवान शिव के अत्यंत प्रिय मास सावन की शुरुआत होने वाली है। इस पावन महीने में हर दिन भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं, सावन माह में सोमवार के दिन का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान शिव की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के साथ श्रद्धालु लोग व्रत भी रखते है। इस व्रत की महिमा शास्त्रों में निहित है। सावन में लोग भोले शंकर का रुद्राभिषेक भी कराते हैं।

धार्मिक मान्यता है कि सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त परेशानी दूर हो जाती है। अगर आप भी देवों के देव महादेव को प्रसन्न कर उनकी कृपा पाना चाहते हैं, तो इस बार सावन के महीने में रोज पूरे भक्ति भाव से भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा के साथ इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।

Shiv Tandav Stotram Lyrics in Hindi: शिव तांडव स्तोत्र एक अद्भुत, चमत्कारी और शक्तिशाली स्तोत्र है, जिसकी रचना लंकापति रावण ने भगवान शिव की स्तुति में की थी। यह स्तोत्र शिवजी के तांडव नृत्य, उनकी दिव्यता, शक्ति और सौंदर्य का वर्णन करता है। इसे पढ़ने और सुनने से व्यक्ति पर शिव कृपा बनी रहती है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। ऐसी मान्यता है कि एक बार अहंकारवश रावण ने कैलाश को उठाने की कोशिश की तो भगवान शिव ने अपने अंगूठे से पर्वत को दबाकर स्थिर कर दिया, जिससे रावण का हाथ पर्वत के नीचे दब गया। तब पीड़ा में रावण ने भगवान शिव की स्तुति की। रावण द्वारा की गई यह स्तुति शिव तांडव स्तोत्र के नाम से जानी जाती है। शिव तांडव स्तोत्र का पाठ अन्य किसी भी पाठ की तुलना में भगवान शिव को अधिक प्रिय है। इसका पाठ करने से शिव जी बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। तो आइये जानते है शिव तांडव स्तोत्र पाठ करने की विधि...


क्या आप शिव तांडव स्तोत्र के शक्तिशाली अर्थों से परिचित हैं? इसे पढ़ें और जानें कैसे शिव की भक्ति आपके जीवन को बदल सकती है......!!


Sawan 2025: सावन में भगवन शिव को प्रसन्न करने के लिए करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, आर्थिक तंगी से मिलेगी राहत
Shiv Tandav Stotram 

शिव तांडव स्तोत्रम् | (Shiv Tandav Stotram Lyrics in Hindi)

जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले

गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्

डमड्डमड्डमड्डमनिनादवड्डमर्वयं

चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम् 1

अर्थ: उनके बालों से बहने वाले जल से उनका कंठ पवित्र है,

और उनके गले में सांप है जो हार की तरह लटका है,

और डमरू से डमट् डमट् डमट् की ध्वनि निकल रही है,

भगवान शिव शुभ तांडव नृत्य कर रहे हैं, वे हम सबको संपन्नता प्रदान करें।

 

जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी

विलोलवी चिवल्लरी विराजमानमूर्धनि

धगद्धगद्ध गज्ज्वलल्ललाट पट्टपावके

किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममं 2

अर्थ: मेरी शिव में गहरी रुचि है,

जिनका सिर अलौकिक गंगा नदी की बहती लहरों की धाराओं से सुशोभित है,

जो उनकी बालों की उलझी जटाओं की गहराई में उमड़ रही हैं?

जिनके मस्तक की सतह पर चमकदार अग्नि प्रज्वलित है,

और जो अपने सिर पर अर्ध-चंद्र का आभूषण पहने हैं।

 

धरा धरेंद्र नंदिनी विलास बंधुवंधुर-

स्फुरदृगंत संतति प्रमोद मानमानसे

कृपाकटा क्षधारणी निरुद्धदुर्धरापदि

कवचिद्विगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि 3

 

अर्थ: मेरा मन भगवान शिव में अपनी खुशी खोजे,

अद्भुत ब्रह्माण्ड के सारे प्राणी जिनके मन में मौजूद हैं,

जिनकी अर्धांगिनी पर्वतराज की पुत्री पार्वती हैं,

जो अपनी करुणा दृष्टि से असाधारण आपदा को नियंत्रित करते हैं, जो सर्वत्र व्याप्त है,

और जो दिव्य लोकों को अपनी पोशाक की तरह धारण करते हैं।

 

जटा भुजं गपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा-

कदंबकुंकुम द्रवप्रलिप्त दिग्वधूमुखे

मदांध सिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे

मनो विनोदद्भुतं बिंभर्तु भूतभर्तरि 4

 

अर्थ: मुझे भगवान शिव में अनोखा सुख मिले, जो सारे जीवन के रक्षक हैं,

उनके रेंगते हुए सांप का फन लाल-भूरा है और मणि चमक रही है,

ये दिशाओं की देवियों के सुंदर चेहरों पर विभिन्न रंग बिखेर रहा है,

जो विशाल मदमस्त हाथी की खाल से बने जगमगाते दुशाले से ढंका है।

 

सहस्र लोचन प्रभृत्य शेषलेखशेखर-

प्रसून धूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः

भुजंगराज मालया निबद्धजाटजूटकः

श्रिये चिराय जायतां चकोर बंधुशेखरः 5

अर्थ: भगवान शिव हमें संपन्नता दें,

जिनका मुकुट चंद्रमा है,

जिनके बाल लाल नाग के हार से बंधे हैं,

जिनका पायदान फूलों की धूल के बहने से गहरे रंग का हो गया है,

जो इंद्र, विष्णु और अन्य देवताओं के सिर से गिरती है।

 

ललाट चत्वरज्वलद्धनंजयस्फुरिगभा-

निपीतपंचसायकं निमन्निलिंपनायम्

सुधा मयुख लेखया विराजमानशेखरं

महा कपालि संपदे शिरोजयालमस्तू नः 6

अर्थ: शिव के बालों की उलझी जटाओं से हम सिद्धि की दौलत प्राप्त करें,

जिन्होंने कामदेव को अपने मस्तक पर जलने वाली अग्नि की चिनगारी से नष्ट किया था,

जो सारे देवलोकों के स्वामियों द्वारा आदरणीय हैं,

जो अर्ध-चंद्र से सुशोभित हैं।

 

कराल भाल पट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-

द्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके

धराधरेंद्र नंदिनी कुचाग्रचित्रपत्रक-

प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने मतिर्मम 7

अर्थ: मेरी रुचि भगवान शिव में है, जिनके तीन नेत्र हैं,

जिन्होंने शक्तिशाली कामदेव को अग्नि को अर्पित कर दिया,

उनके भीषण मस्तक की सतह डगद् डगद्... की घ्वनि से जलती है,

वे ही एकमात्र कलाकार है जो पर्वतराज की पुत्री पार्वती के स्तन की नोक पर,

सजावटी रेखाएं खींचने में निपुण हैं।

 

नवीन मेघ मंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर-

त्कुहु निशीथिनीतमः प्रबंधबंधुकंधरः

निलिम्पनिर्झरि धरस्तनोतु कृत्ति सिंधुरः

कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः 8

अर्थ: भगवान शिव हमें संपन्नता दें,

वे ही पूरे संसार का भार उठाते हैं,

जिनकी शोभा चंद्रमा है,

जिनके पास अलौकिक गंगा नदी है,

जिनकी गर्दन गला बादलों की पर्तों से ढंकी अमावस्या की अर्धरात्रि की तरह काली है।

 

प्रफुल्ल नील पंकज प्रपंचकालिमप्रभा

विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्

स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं

गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे 9

अर्थ: मैं भगवान शिव की प्रार्थना करता हूं, जिनका कंठ मंदिरों की चमक से बंधा है,

पूरे खिले नीले कमल के फूलों की गरिमा से लटकता हुआ,

जो ब्रह्माण्ड की कालिमा सा दिखता है।

जो कामदेव को मारने वाले हैं, जिन्होंने त्रिपुर का अंत किया,

जिन्होंने सांसारिक जीवन के बंधनों को नष्ट किया, जिन्होंने बलि का अंत किया,

जिन्होंने अंधक दैत्य का विनाश किया, जो हाथियों को मारने वाले हैं,

और जिन्होंने मृत्यु के देवता यम को पराजित किया।

 

अखर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी

रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्

स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं

गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे 10

अर्थ: मैं भगवान शिव की प्रार्थना करता हूं, जिनके चारों ओर मधुमक्खियां उड़ती रहती हैं

शुभ कदंब के फूलों के सुंदर गुच्छे से आने वाली शहद की मधुर सुगंध के कारण,

जो कामदेव को मारने वाले हैं, जिन्होंने त्रिपुर का अंत किया,

जिन्होंने सांसारिक जीवन के बंधनों को नष्ट किया, जिन्होंने बलि का अंत किया,

जिन्होंने अंधक दैत्य का विनाश किया, जो हाथियों को मारने वाले हैं,

और जिन्होंने मृत्यु के देवता यम को पराजित किया।

 

जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुरद्ध

गद्धगद्वि निर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्

धिमिद्धिमिद्धिमि नन्मृदंगतुंगमंगल

ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्ड ताण्डवः शिवः 11

अर्थ: शिव, जिनका तांडव नृत्य नगाड़े की ढिमिड ढिमिड

तेज आवाज श्रंखला के साथ लय में है,

जिनके महान मस्तक पर अग्नि है, वो अग्नि फैल रही है नाग की सांस के कारण,

गरिमामय आकाश में गोल-गोल घूमती हुई।

 

दृषद्विचित्रतल्पयो र्भुजंगमौक्तिकस्रजो

र्गरिष्ठरत्नलोष्टयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः

तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः

समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे 12

अर्थ: मैं भगवान सदाशिव की पूजा कब कर सकूंगा, शाश्वत शुभ देवता,

जो रखते हैं सम्राटों और लोगों के प्रति समभाव दृष्टि,

घास के तिनके और कमल के प्रति, मित्रों और शत्रुओं के प्रति,

सर्वाधिक मूल्यवान रत्न और धूल के ढेर के प्रति,

सांप और हार के प्रति और विश्व में विभिन्न रूपों के प्रति?

 

कदा निलिंपनिर्झरी निकुजकोटरे वसन्

विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्

विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः

शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम्13

अर्थ: मैं कब प्रसन्न हो सकता हूं, अलौकिक नदी गंगा के निकट गुफा में रहते हुए,

अपने हाथों को हर समय बांधकर अपने सिर पर रखे हुए,

अपने दूषित विचारों को धोकर दूर करके, शिव मंत्र को बोलते हुए,

महान मस्तक और जीवंत नेत्रों वाले भगवान को समर्पित होगा।

 

निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-

निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः

तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं

परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः 14

अर्थ: देवांगनाओं के सिर में

गुंथे पुष्पों की मालाओं से झड़ते हुए

सुगंधमय राग से मनोहर परम शोभा के धाम

महादेव जी के अंगों की सुन्दरता परम आनंद युक्त

हमारे मन की प्रसन्नता को हमेशा बढाती है|

 

प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी

महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना

विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः

शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् 15

अर्थ: प्रचंड वडवानल की ही भांति

पापों को भस्म करने में

स्त्री स्वरूपिणी अष्टमहासिद्धियों तथा चंचल नेत्रों वाली कन्याओं से

शिव विवाह समय गान की मंगल ध्वनि सभी मंत्रों में से

सबसे श्रेष्ठ शिव जी के मंत्र से पूरित, संसारिक दुखों पर विजय पाए|

 

इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं

पठन्स्मरन् ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्

हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नांयथा गतिं

विमोहनं हि देहना तु शंकरस्य चिंतनम 16

अर्थ: इस स्तोत्र को, जो भी पढ़ता है, याद करता है और सुनाता है,

वह सदैव के लिए पवित्र हो जाता है और महान गुरु शिव की भक्ति पाता है।

इस भक्ति के लिए कोई दूसरा मार्ग या उपाय नहीं है।

बस शिव का विचार ही भ्रम को दूर कर देता है।

 

पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं

यः शम्भूपूजनमिदं पठति प्रदोषे

तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां

लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः 17

 

अर्थ: प्रात: शिव पूजन के अंत में

रावण रचित शिव ताण्डव स्तोत्र का पाठ करने से

घर-परिवार में लक्ष्मी की स्थिरता रहती है

तथा भक्त रथ, गज, घोड़े आदि संपदा से संपन्न हो जाता है।

 

इति रावणकृतं शिव ताण्डव स्तोत्रं संपूर्णम्

शिव तांडव स्तोत्र समाप्त


शिव तांडव स्तोत्र (Shiv Tandav Stotram ) के पाठ से देवों के देव महादेव शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा से साधक को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है और साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है। यदि आप अपने जीवन में सुख और शांति चाहते हैं, तो शिव तांडव स्तोत्र का नित्य जाप करें और भगवान शिव की अनुकंपा प्राप्त करें। इस उम्मीद के साथ कि आपको हमारी यह विशेष जानकारी जरूर पसंद आई होगी, हमें कमेंट करके जरूर बताये। साथ ही इसे अपने सोशल मीडिया जैसे Facebook Instagram पर भी शेयर जरूर करें। बाकी अन्य आर्टिकलस को पढ़ने के लिए हमेशा ऐसे ही बने रहिये आपकी अपनी वेबसाइट www.99advice.com के साथ।

 


Free Download ShivTandav Stotram in Sanskrit and Hindi PDF

https://acrobat.adobe.com/id/urn:aaid:sc:AP:5edfbcd3-6691-5258-9932-3f0e80a1d264



(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। www.99advice.com इसकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)











Tags: Sawan, Shiv Tandav Stotram, Mahadev, Shiva, ShivBhakti, ShivMantra, ShivStotra, ShivTandav, ShivTandavStotra, Lord Shiva, Shravan Month 2025, Sawan Somwar 2025, सावन 2025, रावण रचित शिव तांडव स्तोत्रशिव तांडव स्तोत्र हिंदी अर्थ सहितशिवताण्डवस्तोत्रम्शिवताण्डवस्तोत्रम् हिंदी अनुवाद सहित, शिव स्तोत्र









99advice.com provides you with all the articles pertaining to Travel, Astrology, Recipes, Mythology, and many more things. We would like to give you an opportunity to post your content on our website. If you want, contact us for the article posting or guest writing, please approach on our "Contact Us page."