Basoda Sheetala Ashtami 2023: महाभारत कालीन शीतला माता मंदिर गुरुग्राम, जहां दर्शन से पूरी होती है भक्तों की हर मुराद। जाने मंदिर के बारे में खास बाते

Basoda Sheetala Ashtami 2023

मुख्य बातें

शीतला माता का यह मंदिर करीब चार सौ साल पुराना है।

मान्यता है कि शीतला माता यहां साक्षात वास करती हैं।

शीतला अष्टमी के दिन माता के इस मंदिर में लगा रहता है भक्तों का तांता।


Sheetala Ashtami 2023: हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी का अत्यंत महत्व माना गया है। चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी-अष्टमी तिथि पर शीतला माता का खास पर्व शीतला सप्तमी-अष्‍टमी मनाया जाता है। इस दिन शीतला माता की पूजा का विधान है। शीतला सप्तमी-अष्‍टमी को बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व मौसम में आए बदलाव के तौर भी मनाया जाता है। साल 2023 में शीतला सप्तमी 14 मार्च मंगलवार के दिन और अगले दिन 15 मार्च दिन बुधवार को शीतला अष्टमी की तिथि पड़ेगी।

मान्यता के अनुसार शीतला माता देवी भगवती दुर्गा का ही एक रूप है। अत: इनका पूजन करते हुए इस दिन माताएं ठंडा या बासी खाने का भोग लगाकर खुद भी यह ग्रहण करती है। शीतला सप्तमी तथा अष्टमी के एक दिन पूर्व ही कई प्रकार के पकवान माता शीतला को भोग लगाने के लिए तैयार करके अष्टमी के दिन उन्हें इन्हीं बासी पकवान को नैवेद्य के रूप में देवी शीतला माता को समर्पित किए जाते हैं। यह दिन माताओं के लिए बहुत खास हैं, क्योंकि महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु और अच्छी सेहत के लिए यह व्रत करती हैं।

वैसे तो हमारे देश में शीतला माता के कई मंदिर हैं लेकिन गुरुग्राम का शीतला माता मंदिर शहर की एक अलग पहचान पेश करता है और सबसे खास माना जाता है। क्योंकि इस मंदिर का संबंध महाभारत से जुड़ा हुआ है। शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी के मौके पर यहां शीतला माता की पूजा की जाती है। आइए बासोड़ा के मौके पर जानते हैं इस मंदिर की खास बातें-


धागा और चुन्नी बांध कर मन्नत मांगते हैं श्रद्धालु

गुरुग्राम का प्रसिद्ध महाभारत कालीन मंदिर, जहां धागा बांधने से पूरी होती है भक्तों की हर मनोकामना

कई समाजों जैसे ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय, जाट और गुर्जर आदि में शीतला माता की कुलदेवी के रूप में पूजा की जाती है। गुरुग्राम के शीतला माता मंदिर में सिर्फ स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि दूर-दूर से लोग देवी के दर्शन करने आते हैं। इसके अलावा यहां न केवल स्थानीय बल्कि दूसरे शहरों से भी लोग आकर शादी करते हैं या बच्चों का मुंडन कराते हैं। इस मंदिर के मुख्य द्वार पर बरगद का पेड़ लगा हुआ है। मान्यता है कि श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं को पूरा करवाने के लिए पेड़ से चुन्नी या मौली बांधकर शीतल जल चढ़ाकर मन्नत मांगते हैं। महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए भी माता की पूजा करती है।


महाभारत काल से है मंदिर का संबंध

Basoda Sheetala Ashtami 2023: गुरुग्राम का प्रसिद्ध महाभारत कालीन मंदिर, जहां धागा बांधने से पूरी होती है भक्तों की हर मनोकामना

विश्वभर में प्रसिद्ध माता शीतला के इस मंदिर (Sheetla Mata Mandir) का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, गुरु द्रोण की नगरी गुरुग्राम में गुरु कृपाचार्य की बहन और महर्षि शरद्वान की पुत्री शीतला देवी के नाम से पूजा होती है। महाभारत के युद्ध के समय जब गुरु द्रोण द्रुपद पुत्र धृष्टघुम्न द्वारा वीरगति को प्राप्त हुए थे तब उनकी पत्नी कृपि भी उनके साथ सती हो गई थीं। अपने पति के साथ चिता पर बैठते हुए कृपि ने लोगों को आशीर्वाद दिया कि इस सती स्थल पर जो भी मनोकामना लेकर आएगा, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी। साथ ही यह भी मान्यता है कि यहां आचार्य द्रोणाचार्य ने कौरवों और पांडवों को प्रशिक्षण दिया था। यहां सालभर भक्तों का तांता लगता है। स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने शीतला माता को सृष्टि को आरोग्य रखने की जिम्मेदारी दी थी। मान्यता है कि विधिवत शीतला माता की पूजा अर्चना करने से खसरा, चेचक व नेत्र विकार से मुक्ति मिलती है।


शीतला अष्टमी या बसोड़ा 2023 महत्व (Sheetala Saptami/Basoda 2023 Significance)

Basoda Sheetala Ashtami 2023: गुरुग्राम का प्रसिद्ध महाभारत कालीन मंदिर, जहां धागा बांधने से पूरी होती है भक्तों की हर मनोकामना

शास्त्रों, ग्रंथों और पुराणों के अनुसार, शीतला माता गधे की सवारी करती हैं। उनके हाथों में कलश, झाड़ू, सूप या सूपड़ा स्थापित हैं। माता शीतल के गले में नीम के पत्तों की माला विराजमान है। इस मंदिर में लाल रंग का दुपट्टा और मुरमुरा प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि शीतला अष्टमी के दिन माता शीतला की पूजा से घर का हर एक सदस्य निरोगी रहता है और खासतौर पर बच्चे किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जा से दूर रहें इसलिए यहां बच्चों का मुंडन भी कराया जाता है। जिससे बच्चों को कभी कोई रोग नहीं सताता है।

बता दें कि शीतला माता (Sheetla Mata) का यह मंदिर करीब चार सौ साल पुराना है। यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि करीब ढ़ाई-तीन सौ साल पहले शीतला माता ने गुणगांव के सिंघा जाट नाम के व्यक्ति को सपने में दर्शन दिया था और यहां मंदिर (Sheetla Mata Mandir, Gurugram) बनाने के लिए कहा था। मान्यता है कि माता यहां साक्षात वास करती हैं। इतना ही नहीं माता के इस मंदिर में दर्शन मात्र से चेचक, खसरा और नेत्र रोग जड़ से खत्म हो जाते हैं।


 दिल्ली में था यह मंदिर

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गुरुग्राम के शीतला माता मंदिर का इतिहास लगभग 500 साल पुराना बताया जाता है। माता का यह मंदिर पहले दिल्ली के केशोपुर में हुआ करता था। हालांकि, 1910 के एक रिकॉर्ड के मुताबिक, करीब ढाई सौ से तीन सौ साल पहले शीतला माता ने गुरुग्राम के सिंघा जाट नाम के एक व्यक्ति को सपने में दर्शन देकर गुड़गांव में मंदिर बनाने के लिए कहा। इसके बाद मंदिर का निर्माण हुआ था।

दोस्तों शीतला माता की कृपा और आशीर्वाद हम सभी के परिवार पर सदैव बना रहे। उम्मीद करती हूँ आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई होगी। हमें कमेंट करके जरूर बताये। बाकी अन्य आर्टिकलस के लिए हमेशा ऐसे ही बने रहिये आपकी अपनी वेबसाइट www.99advice.com के साथ।


(Disclaimer:  इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। www.99advice.com इसकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)




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Sumegha Bhatnagar

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  1. Thanks for the detailed information 😊👍

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